मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

कब्र का मुनाफ़ा और पत्रिका रचना समय के विशेषांक का लोकार्पण

सधी और तराशी हुई हैं तेजेन्द्र शर्मा की कहानियां – राजेन्द्र यादव

नई दिल्ली। वरिष्ठ कथाकार एवं हंस के संपादक राजेन्द्र यादव ने कहा कि, “प्रवासी लेखक तेजेन्द्र शर्मा की कहानियां कई बारीक़ स्तरों पर पहचान की खोज की कहानियां हैं। क़ब्र का मुनाफ़ा संग्रह में तेजेन्द्र शर्मा की कहानियां सधी और तराशी हुई हैं। श्री यादव ने ये बातें सामयिक प्रकाशन और समाज संस्था के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुई कही। इस अवसर पर तेजेन्द्र शर्मा के कहानी संग्रह क़ब्र का मुनाफ़ा के दूसरे संस्करण एवं भोपाल से प्रकाशित हरि भटनागर द्वारा संपादित पत्रिका रचना समय के विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया।

लंदन से विशेष रूप से पधारे कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने जब अपने लिखे साहित्य को को प्रवासी साहित्य कहे और माने जाने पर असहमति जताई तो श्री यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी भी लेखक को प्रवासी इसलिये नहीं कहा जाता कि उसे अपमानित करना है या अलग बिरादरी का दिखाना है, बल्कि इसलिये है क्योंकि हिन्दी कहानी पच्चासों टुकड़ों में बँटी हुई है।
मिसाल के तौर पर किसी ने पहाड़ी कहानी का झण्डा उठा रखा है तो किसी कहानी को आंचलिक खाँचे में रख दिया जाता है। दरअसल ऐसा विभाजन करने के लिये कहा जाता है। यह विभाजन इसलिये किया जाता है ताकि कहानी को संपूर्णता से समझा-देखा जा सके।

तेजेन्द्र शर्मा की शिक़ायत यह थी कि मैं प्रवासी हुआ तो उससे पहले का लिखा मेरा लेखन भी प्रवासी क़रार कर दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि लेखक प्रवासी हो सकता है, मगर उसका साहित्या कैसे हो सकात है। श्री शर्मा ने प्रवासी लेखकों से भी कहा कि आप लिखिए और ज़रूर लिखिए मगर पढ़िये ज़रूर। एक कहानी लिखने से पहले पंद्रह कहानियां ज़रूर पढ़िये। उन्होंने आह्वान किया कि हमें नए मुहावरे गढ़ने होंगे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ‘परिचयदास’ ने तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों को ज़मीन से जुड़ा हुआ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी कहानियों में ग़ज़ब की पठनीयता है।
अजय नावरिया ने लंदन से विशेष रूप से भेजा गया कथाकार ज़किया ज़ुबैरी का संदेश पढ़ कर सुनाया जिसमें उन्होंने कहा कि यह समारोह तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों की मुख्यधारा द्वारा स्वीकृति का प्रमाण है।

इस अवसर पर भारत भारद्वाज, सुशील सिद्धार्थ, विजय शर्मा, साधना अग्रवाल एवं वंदना पुष्पेन्द्र ने तेजेन्द्र शर्मा कि कहानियों और लेखन पर अपने विचार रखे। वक्ताओं ने उनकी कहानियों को मार्मिक, विविधतापूर्ण एवं पास-परिवेश से जुड़ा बताया। उनके मुताबिक़ शर्मा की कहानियां अतीत (भारत) और वर्तमान (लंदन) के सामाजिक हालात से जुड़ी हुई हैं। भारत भारद्वाज ने उनकी कहानियों को समकालीन हिन्दी कहानी का आधा गाँव कहा।

कार्यक्रम का संचालन युवा कथाकार अजय नावरिया ने किया तथा अतिथियों का स्वागत सामयिक प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक महेश भारद्वाज ने किया। खचाखच भरे लोकार्पण समारोह में तेजेन्द्र के कॉलेज के ज़माने के प्राध्यापक सोमनाथ, कथा यू.के. के सम्मानित लेखकों असग़र वजाहत, भगवानदास मोरवाल, विकास कुमार झा के अलावा के. बिक्रम सिंह, सत्यकाम, मनीषा कुलश्रेष्ठ,
नरेन्द्र नागदेव, अरुण आदित्य, अल्का सिन्हा, प्रदीप पंत, आलोक श्रीवास्तव, अमरनाथ अमर, गीताश्री, मानसी, वर्तिका नंदा, अजन्ता शर्मा, नरेश शांडिल्य, अनिल जोशी, अनिता कपूर (अमरीका), राज चोपड़ा (लंदन), राकेश पाण्डे, आरिफ़ जमाल जैसे हिन्दी जगत के जाने-माने लेखक, पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारी एवं गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।

बुधवार, 28 सितंबर 2011

असमा सूत्तरवाला के ऑडियो सी.डी. का विमोचन

(बाएं से उस्ताद नवाज़िश अली ख़ान, हातिम सूत्तरवाला, असमा सूत्तरवाला, काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी, तेजेन्द्र शर्मा).

कथा यू.के. ने लंदन की कोकण एड् फ़ाउण्डेशन के मंच पर भारतीय मूल के उद्योगकर्मी परिवार (टी.आर.एस.) की असमा सूत्तरवाला के ऑडियो सी.डी. का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया। विमोचन करते हुए काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने कहा, “कम्यूनिटी की सेवा असमा की रूह में गहरे तक पैठी हुई है। असमा ने मुंबई की अपनी ज़िन्दगी में देखा कि झोंपड़-पट्टियों में रहने वाले ग़रीब लोग कैसे पानी के लिये एक दूसरे से लड़ते झगड़ते हैं। असमां ने देखा कि हिन्दुस्तान में गांवों में किस तरह औरतें मीलों पैदल चल कर एक घड़ा पानी भर कर लाती हैं। इसी लिये असमां ने निर्णय लिया है कि इस सीडी की बिक्री से जितने भी पैसे इकट्ठे होंगे, उन्हें दक्षिण एशियाई देशों में पानी से जुड़ी अलग अलग योजनाओं में लगाया जाएगा।”

काउंसलर ज़ुबैरी ने कोकण एड फ़ाउण्डेशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि लंदन में यह समुदाय एक शांतिप्रिय एवं प्रगतिशील समाज है। हम सब को इनके संघर्ष एवं मेहनत से सबक लेना चाहिये।

असमां सूत्तरवाला ने कोकण फ़ाउण्डेशन, ज़किया ज़ुबैरी, कमाल फ़की एवं तेजेन्द्र शर्मा के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा, “यदि हम ग्रामीण परिवेश में पानी के पंप लगवा सकें तो यह नारी उत्थान के प्रति सीधा सा सकारात्मक कदम होगा। इससे नारियों को अपने बच्चों एवं परिवार के लिये अधिक समय मिल पाएगा क्योंकि उन्हें दूर दराज़ इलाकों में पानी लाने में समय नहीं गंवाना होगा।” अपने पति हातिम सूत्तरवाला, परिवार के सदस्यों, ज़किया ज़ुबैरी, नवाज़िश अली ख़ान आदि का धन्यवाद करते हुए असमां ने कहा कि इन सब के कारण ही वह अपने सपने को साकर करने में सफल हो पाईं। उनकी सी.डी. में से तीन नातें सुनते हुए श्रोता भाव-विभोर हो उठे।

कथा यू.के. के महासचिव एवं कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वयं एक नात गा कर कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने कोकण फ़ाउण्डेशन के सृजनात्मक कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी। तेजेन्द्र शर्मा ने कहा, “आमतौर पर पत्नी को आगे बढ़ते देख पति को अपना क़द छोटा होता दिखाई देता है। मगर हातिम सूत्तरवाला ने अपनी पत्नी असमां की ख़ूबी को ना केवल पहचाना बल्कि उसे आगे बढ़ाने में भी पूरा योगदान दिया।” उन्होंने सभी श्रोताओं को असमां के ‘सबके लिये जल’ कार्यक्रम को समर्थन देने का आवाह्न भी किया।

इस से पहले मौलाना अब्दुल अमीन एवं डा. पठान ने कोकण एड फ़ाउण्डेशन के कामों का लेखा जोखा श्रोताओं के सामने रखा। उस्ताद नवाज़िश अली ख़ान एवं शबनम ख़ान ने सूफ़ी, ग़ज़ल और हिन्दी फ़िल्मी गीतों से संगीत का समां बांधे रखा। शाम एक सफल शाम रही।

--दीप्ति शर्मा