शुक्रवार, 29 जून 2012

१८वाँ अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान समारोह सम्पन्न


(लंदन) - ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में उपन्यासकार प्रदीप सौरभ को उनके उपन्यास तीसरी ताली के लिये ‘अट्ठारहबाँअंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान’ प्रदान करते हुए वैस्ट ब्रॉमविच के लॉर्ड किंग ने कहा कि लेखक ही समाज में बदलाव ला सकता है। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी संस्कृति तभी बची रह सकती है यदि उसकी भाषा की ताक़त महफ़ूज़ रहे। इस अवसर पर उन्होंने सर्रे निवासी ब्रिटिश हिन्दी एवं उर्दू के शायर श्री सोहन राही को तेरहवाँ पद्मानंद साहित्य सम्मान भी प्रदान किया। ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सांसद वीरेन्द्र शर्मा ने सम्मान समारोह की मेज़बानी की।

श्री विरेन्द्र शर्मा ने प्रदीप सौरभ के उपन्यास के विषय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि २१वीं सदी में हमारी बहुत सी परम्पराएँ मान्य नहीं रही हैं। यह उपन्यास एक चेतावनी है कि हमें अपने समाज में हिजड़ों के प्रति नज़रिया बदलना होगा। इस विषय में उन्होंने ब्रिटेन जैसे उन्नत देशों से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने सोहन राही के सम्मान को अपने शहर का सम्मान बताया जहाँ से दोनों जीवन में आगे बढ़ कर ब्रिटेन पहुँचे।

सम्मान ग्रहण करते हुए प्रदीप सौरभ ने स्पष्ट किया कि “लेखक को रचना के माध्यम से तोला जाए न कि उसके व्यक्तिगत जीवन से।” उन्होंने आगे ज़ोर दे कर कहा, “जीवन जीने के लिये बचपन से कितने समझौते, कितने गलत काम किये होंगे, मैं उन्हें स्वीकार करता हूँ। मैं पत्रकार हूँ, टी.वी. चैनल में काम करता हूँ, कहने को सच्चाई की मशाल लिये खड़ा हूँ, मगर सच तो यह है कि अपनी अख़बार के मालिक के लिये दलाली करता हूँ। मगर जब मैं लेखन करता हूँ तो स्वतन्त्र होता हूँ। हर इन्सान के चेहरे पर अनेक मुखौटे होते हैं और मैं तो मुखौटों का म्यूज़ियम हूँ।” दीप्ति शर्मा ने तीसरी ताली के उपन्यास अंश का मार्मिक पाठ किया।

काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने समारोह में वाणी प्रकाशन की युवा प्रकाशक आदिति महेश्वरी की उपस्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हिन्दी साहित्य के लिये शुभ समाचार है कि पढ़े लिखे युवा अब हिन्दी प्रकाशन क्षेत्र में पदार्पण कर रहे हैं। इससे सकारात्मक बदलाव आने की पूरी संभावना है। मैंने हमेशा ही यह कहा है कि हिन्दी उपन्यास और कहानी लेखन में शोध बहुत कम किया जाता है। किन्तु तीसरी ताली पढ़ कर पता चलता है कि प्रदीप सौरभ ने हिजड़ों के जीवन पर कितना शोध किया है। काउंसलर ज़ुबैरी ने सोहन राही को हिन्दी और उर्दू का श्रेष्ठ गीतकार कहा।

कथा यू.के. के महासचिव कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने सम्मानित पुस्तकों की चयन प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए समारोह में मौजूद सोआस विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष फ़्रेंचेस्का ऑरसीनी को सम्बोधित करते हुए आग्रह किया कि विद्यार्थियों का सक्रिय लेखकों के साथ पारस्परिक मेलजोल ज़रूरी है। इससे ब्रिटेन में हिन्दी साहित्य एवं गतिविधियों को एक नई दिशा मिलेगी। संचालन करते हुए तेजेन्द्र शर्मा ने तीसरी ताली उपन्यास एवं सोहन राही के गीतों एवं ग़ज़लों से परिचय करवाया।

फ़्रेंचेस्का ऑर्सीनी ने तेजेन्द्र शर्मा के प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि भविष्य में कथा सम्मान का आयोजन ऐसे समय में किया जाए जबकि विश्विद्यालय की कक्षाएं चल रही हों और अन्य साहित्यिक गतिविधियां भी हो रही हों।

कथा यू. के. के अध्यक्ष श्री कैलाश बुधवार ने उपन्यास तीसरी ताली पर भारत के समीक्षकों की टिप्पणियां पढ़ कर सुनाईं जिनमें सुधीश पचौरी, हीरालाल नागर एवं निरंजन क्षोत्रिय की टिप्पणियां शामिल थीं।

सोहन राही की पुस्तक कुछ ग़ज़लें कुछ गीत पर अपना लेख पढ़ते हुए नॉटिंघम की कवियत्री जय वर्मा ने कहा कि, “सोहन राही एक पीढ़ी के लिए नहीं हैं वे युवा से लेकर सब उम्र वालों को अपने से लगते है। अंतर्मन की जटिल गुत्थियों को सुलझाते हुए जीने के अर्थ को अपनी संवेदनशील और मार्मिक कविताओं द्वारा जनसाधारण तक पहुंचाने में सफल हुए हैं।”

सोहन राही ने कथा यू.के. के निर्णायक मण्डल को धन्यवाद देते हुए कहा, “शेर कहना मेरा शुगल ही नहीं, मेरे जीवन की उपासना है। शेर-ओ-अदब मेरा जीवन है, मेरे गीत मेरा ओढ़ना बिछौना हैं।” उन्होंने अपने गीत – कोयल कूक पपीहा बानी... का सस्वर पाठ भी किया।

श्री गौरीशंकर (उप-निदेशक नेहरू सेंटर) ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि अब कथा यू.के. सम्मान की चर्चा यू.पी.एस.सी. बैंकिंग बोर्ड एवं रेल्वे बोर्ड के टेस्टों में भी होती है।

सरस्वती वंदना निशि ने की; सोहन राही का मानपत्र मुंबई से पधारीं मधु अरोड़ा ने पढ़ा तो प्रदीप सौरभ का मानपत्र पढ़ा हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री आनंद कुमार ने। संचालन तेजेन्द्र शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त काउंसलर के.सी. मोहन, काउंसलर ग्रेवाल, श्रीमती पद्मजा, प्रो. अमीन मुग़ल, अयूब ऑलिया, जितेन्द्र बिल्लु, राम शर्मा मीत, अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेना, गोविन्द शर्मा, नीना पॉल, महेन्द्र दवेसर, पद्मेश गुप्त, निखिल कौशिक, विजय राणा, मीरा कौशिक, परवेज़ आलम, पुष्पा रॉव, कविता वाचकनवी, शन्नो अग्रवाल, वेद मोहला, डा. महिपाल वर्मा, के.बी.एल.सक्सेना, आदि ने भाग लिया।

रविवार, 15 अप्रैल 2012

१८ वाँ अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान घोषित

१० अप्रैल २०१२, कथा (यू. के.) के महा-सचिव एवं प्रतिष्ठित कथाकार श्री तेजेन्द्र शर्मा ने लंदन से सूचित किया है कि वर्ष 2012 के लिए अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान पत्रकार कथाकार श्री प्रदीप सौरभ को उनके (वाणी प्रकाशन से 2011) में प्रकाशित उपन्यास तीसरी ताली पर देने का निर्णय लिया गया है। हिजड़ों एवं किन्नरों के जीवन पर आधारित यह उपन्यास अपने आप में अनूठा है। इस सम्मान के अन्तर्गत दिल्ली-लंदन-दिल्ली का आने-जाने का हवाई यात्रा का टिकट, एअरपोर्ट टैक्स़, इंगलैंड के लिए वीसा शुल्क़, एक शील्ड, शॉल, तथा लंदन के ख़ास-ख़ास दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होंगे। यह सम्मान श्री प्रदीप सौरभ को लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में 28 जून 2012 की शाम को एक भव्य आयोजन में प्रदान किया जायेगा। सम्मारन समारोह में भारत और विदेशों में रचे जा रहे साहित्यस पर गंभीर चिंतन भी किया जायेगा।

इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवयित्री इंदु शर्मा की स्मृति में की गयी थी। इंदु शर्मा का कैंसर से लड़ते हुए अल्प आयु में ही निधन हो गया था। अब तक यह प्रतिष्ठित सम्मान चित्रा मुद्गल, संजीव, ज्ञान चतुर्वेदी, एस आर हरनोट, विभूति नारायण राय, प्रमोद कुमार तिवारी, असग़र वजाहत, महुआ माजी, नासिरा शर्मा, भगवान दास मोरवाल, हृषिकेश सुलभ एवं विकास कुमार झा को प्रदान किया जा चुका है।

1 जुलाई 1960 को कानपुर में जन्मे प्रदीप सौरभ ने इलाहबाद विश्वविद्याल से हिन्दी साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल की। जनआंदोलनों में हिस्सा लिया। कई बार जेल गए। वे साप्ताहिक हिन्दुस्तान के संपादन विभाग से लम्बे अर्से तक जुड़े रहे। आजकल वे दि सी एक्सप्रेस दैनिक समाचार पत्र के राजनीति-संपादक के रूप में कार्यरत हैं। सम्मानित उपन्यास के अतिरिक्त उनके दो अन्य उपन्यास मुन्नी मोबाइल एवं देश भीतर देश प्रकाशित हो चुके हैं। भारतेन्दु कृत अंधेर नगरी, सर्वेश्वर का रचना संसार एवं कविता संग्रह दरख़्त के दर्द उनकी अन्य प्रकाशित कृतियों में शामिल हैं। गुजरात दंगों की रिपोर्टिंग के लिए पुरस्कृत हुए। निजी जीवन में खरी-खोटी हर खूबियों से लैस। खड़क, खुर्राट और खरे। मौन में तर्कों का पहाड़ लिये इस शख्स ने कब, कहां और कितना जिया, इसका हिसाब-किताब कभी नहीं रखा। बंधी-बंधाई लीक पर कभी नहीं चले। इस कार्यक्रम के दौरान भारत एवं विदेशों में रचे जा रहे हिन्दी साहित्य के बीच के रिश्तों पर गंभीर चर्चा होगी।

वर्ष 2012 के लिए पद्मानन्द साहित्य सम्मान इस बार सर्रे निवासी श्री सोहन राही को उनके ग़ज़ल एवं गीत संग्रह कुछ ग़ज़लें कुछ गीत (माडर्न पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली) के लिये दिया जा रहा है। पिच्चहतर वर्षीय श्री सोहन राही का जन्म गांव लिस्साहड़ा ज़िला जालंधर में हुआ। प्रेम वारबर्टनी व माहिरुल कादरी के शिष्य सोहन राही के अब तक उर्दू एवं हिन्दी में दस ग़ज़ल एवं गीत संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनका कहना है कि शेर कहना मेरा शग़्ल नहीं बल्कि मेरे जीवन की उपासना है। मेरे गीत मेरा ओढ़ना बिछौना हैं।

इससे पूर्व ब्रिटेन के प्रतिष्ठित हिन्दी लेखकों क्रमश: डॉ सत्येन्द श्रीवास्तव, दिव्या माथुर, नरेश भारतीय, भारतेन्दु विमल, डा. अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेतना, गोविंद शर्मा, डा. गौतम सचदेव, उषा वर्मा, मोहन राणा, महेन्द्र दवेसर, कादम्बरी मेहरा एवं नीना पॉल को पद्मानन्द साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। कथा यू.के. परिवार उन सभी लेखकों, पत्रकारों, संपादकों मित्रों और शुभचिंतकों का हार्दिक आभार मानते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता है जिन्होंने इस वर्ष के पुरस्कार चयन के लिए लेखकों के नाम सुझा कर हमारा मार्गदर्शन किया।

दीप्ति शर्मा (लंदन से)
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सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

“प्रवासी साहित्य की आलोचना के लिये नये मापदण्ड बनें।”

(परिसंवाद के उद्घाटन अवसर पर मुंबई से प्रकाशित पत्रिका ‘सृजन संदर्भ’’ के प्रवासी लेखन विशेषांक का लोकार्पण करते हुए तेजेन्द्र शर्मा, डा. चन्द्रा कृष्णमूर्ति, डा. दामोदर खड़से, डा. असग़र वजाहत, डा, हर्षा मेहता, काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी एवं. डा. संजीव दुबे।)
महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के सहयोग से कथा यू.के. लन्दन एवं एस.आई.ई.एस. कॉलेज (मुंबई) के हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘प्रवासी हिन्दी साहित्य उपलब्धियां और अपेक्षाएं’ विषय पर आयोजित दो-दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित किया गया। प्रसिद्ध कथाकार और कथा यू.के. के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा, “परंपरागत आलोचना प्रवासी साहित्य के साथ पूरा न्याय नहीं कर सकती. उन्होंने सवाल किया कि लेखक तो प्रवासी हो सकता है, क्या किसी भाषा का साहित्य भी प्रवासी हो सकता है? साहित्य को अलग अलग ख़ांचों में बांटना घातक सिद्ध हो सकता है।”

एस.एन.डी.टी. महिला विद्यापीठ की पूर्व कुलगुरु डॉ. चंद्रा कृष्णमूर्ति की अध्यक्षता में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डा. दामोदर खड़से ने परिसंवाद का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रवासी साहित्यकारों ने विश्व स्तर पर हिन्दी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेष अतिथि के रूप में लन्दन (यू.के.) से पधारी कथाकार ज़किया ज़ुबैरी ने कहा कि आलोचक हमें बताएं कि उनकी प्रवासी साहित्य से क्या अपेक्षाएं है। मुख्य अतिथि डॉ. असग़र वजाहत ने बीज वक्तव्य में कहा कि प्रवासी लेखन ने विगत दो दशकों में अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है। उसे किसी से अपनी जगह पूछने की जरूरत नहीं है।. उन्होंने जोर दिया कि प्रवासी साहित्य के दायरे में पाकिस्तान और बंगला देश को भी शामिल किया जाना चाहिए। परिसंवाद के आरम्भ में प्राचार्या डॉ. हर्षा मेहता ने महाविद्यालय एवं हिन्दी विभाग द्वारा किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यों की चर्चा करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.संजीव दुबे ने परिसंवाद में मेहमानों का स्वागत किया। सत्र की शुरूआत में काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने कथा यू.के. की ओर से डा. संजीव दुबे को एक लैपटॉप उपहार में भेंट किया।

अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद के प्रवासी साहित्य की अवधारणा पर केंद्रित प्रथम सत्र में डॉ.रामजी तिवारी (पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, मुंबई विश्वविद्यालय), डॉ. श्याम मनोहर पाण्डेय (पूर्व प्रोफ़ेसर, ओरिएंटल विश्वविद्यालय), श्री सुंदरचंद ठाकुर (सम्पादक, नवभारत टाइम्स) ने महत्वपूर्ण विचार रखे। प्रवासी लेखकों में श्रीमती ज़किया ज़ुबैरी (यू.के.), श्री तेजेंद्र शर्मा (यू.के.), श्रीमती नीना पॉल (यू.के.), श्री उमेश अग्निहोत्री (यू.एस.ए.), डॉ.अनीता कपूर (यू.एस.ए.), श्रीमती देवी नागरानी (यू.एस.ए.), श्रीमती अंजना संधीर (यू.एस.ए.) एवं श्रीमती स्नेह ठाकुर (कनाडा) ने प्रवासी साहित्य के विविध पक्षों पर महत्वपूर्ण वक्तव्य दिए।
(कवि सम्मेलन के दौरान मंच पर बैठे हुए बाएं से देवी नागरानी, काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी, प्राचार्या हर्षा मेहता, स्नेह ठाकुर। खड़े हुए बाएं से उमेश अग्निहोत्रि, अंजना संधीर, देवमणि पाण्डेय, तेजेन्द्र शर्मा, नीना पॉल, संजीव दुबे।)

प्रवासी साहित्य पर अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद के पहले दिन की शाम प्रवासी कवि सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कारण यादगार बन गयी। श्री देवमणि पाण्डेय के संचालन में श्रीमती ज़किया ज़ुबैरी (यू.के.), श्रीमती नीना पॉल (यू.के.), श्रीमती देवी नागरानी (यू.एस.ए.), डॉ. अंजना संधीर(यू.एस.ए.), श्रीमती स्नेह ठाकुर (कनाडा) एवं श्री तेजेंद्र शर्मा (यू.के.) ने अपनी ताज़ा कविताओं एवं ग़ज़लों का पाठ किया। महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने रंगारंग नृत्य-गीत प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। इस रंगारंग कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति रही एक नेत्रहीन बच्चों के बैण्ड का कव्वाली गायन। कथा यू.के. की संरक्षक काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने संस्था की ओर से इस बैण्ड का उत्साह बढ़ाने के लिये उन्हें पांच हज़ार रुपये की राशि प्रदान की।

प्रवासी साहित्य कि अवधारणा, प्रवासी हिन्दी कविता, प्रवासी हिन्दी कहानी, प्रवासी हिन्दी उपन्यास तथा विविध विधाओं में लिखे जा रहे प्रवासी साहित्य पर केंद्रित विभिन्न सत्रों में कथाकार श्रीमती सूर्यबाला, श्रीमती सुधा अरोड़ा, डॉ. हरियश राय, डॉ.एम.विमला (बंगलोर), डॉ.शांति नायर (केरल), डॉ.विजय शर्मा (जमशेदपुर), डॉ.लालित्य ललित (दिल्ली) ने अपने विचार रखे। सुश्री अजंता शर्मा (दिल्ली), डॉ. सुमन जैन, डॉ. सतीश पाण्डेय, डॉ.एस.पी.दुबे, डॉ. अनिल सिंह, डॉ. शशि मिश्रा, डॉ. उषा राणावत, डॉ. उषा मिश्रा, श्रीमती मधु अरोड़ा, श्रीमती रेखा शर्मा, डॉ. मिथिलेश शर्मा, श्री दिनेश पाठक, डॉ.मनीष मिश्रा, डॉ. अशोक मरडे, डॉ.संदीप रणभिरकर, सुश्री गीता सिंह, श्री एस.एन.रावल, डॉ.श्यामसुन्दर पाण्डेय, डॉ.जयश्री सिंह, श्रीमती तबस्सुम ख़ान आदि ने अनेक प्रवासी रचनाकारों के अवदान पर केंद्रित प्रपत्र प्रस्तुत किये।
(विद्यार्थियों के नेत्रहीन बैण्ड ने रंगारंग कार्यक्रम में कव्वाली प्रस्तुत की।)

इन प्रपत्रों में उषा प्रियम्वदा, सुषम बेदी, ज़किया ज़ुबैरी, सुधा ओम ढींगरा, सुदर्शन सुनेजा, रेखा मैत्र, जय वर्मा, नीना पॉल, दिव्या माथुर, उषा राजे सक्सेना, पुष्पा सक्सेना, उमेश अग्निहोत्री, अर्चना पैन्यूली एवं तेजेन्द्र शर्मा आदि प्रवासी साहित्यकारों के अवदान पर चर्चा की गयी। उक्त प्रपत्रों के अतिरिक्त प्रवासी साहित्य की विभिन्न प्रवृत्तियों पर भी वक्ताओं ने अपने विचार रखे। परिसंवाद में मुंबई के प्रतिष्ठित रचनाकारों, समीक्षकों, पत्रकारों एवं प्राध्यापकों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। “प्रपत्र वाचक” खास तौर पर बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होनें कठिन प्रयासों से प्रवासी लेखन को पढ़ा, चिंतन-मनन करके अपने चुनाव के प्रवासी भारतीय रचनाकार के बारे में डूबकर उनके काव्य, कहानी, उपन्यास की कड़ियाँ जोड़कर, अपने प्रपत्र को सोच और शब्दों में बुनकर बहुत ही स्रजनात्मक ढंग से अपने-अपने विषयों पर रौशनी डाली। यह इस सम्मेलन की अपने आप में एक विशिष्ट उपलब्धि है।

समापनन सत्र की अध्यक्षता की एस.आई.ई.एस. कॉलेज की प्राचार्या डॉ॰ हर्षा मेहता ने, विशेष अतिथि रहे डॉ॰ लालित्य ललित (संपादक, नेशनल बूक ट्रस्ट, नयी दिल्ली), जबकि प्रमुख वक्ता थे कथाकार तेजेन्द्र शर्मा । अंत में इस अधिवेशन के संयोजक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ॰ संजीव दुबे ने सभी विशेष मेहमानों, वरिष्ठ साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया। कथा यू.के. एवं एस.आई.ई.एस. कॉलेज के सफल प्रयासों के लिए प्राचार्या डॉ॰ हर्षा मेहता, इस अधिवेशन के संयोजक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ॰ संजीव दुबे, कथा यू.के के महासचिव एवं कथाकार श्री तेजेंद्र शर्मा को बधाई।

परिसंवाद के आयोजन में डॉ. उमा शंकर, प्रो. रजनी माथुर, प्रो. लक्ष्मी, प्रो. कमला, प्रो. सुचित्रा, प्रो. सीमा, प्रो. शमा, प्रो. वृशाली एवं विद्यार्थियों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

मधुलता अरोड़ा।