शुक्रवार, 28 जून 2013

१९वाँ अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान घोषित

कथा (यू के) के अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित मीडिया हस्ती श्री कैलाश बुधवार ने लंदन से सूचित किया है कि वर्ष २०१३ के लिए अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान कथाकार श्री पंकज सुबीर को उनके सामयिक प्रकाशन से २०१२ में प्रकाशित कहानी संग्रह महुआ घटवारिन और अन्य कहानियाँ पर देने का निर्णय लिया गया है।

श्री कैलाश बुधवार ने बताया कि इस वर्ष सम्मान के लिए केवल कहानी विधा पर ही ध्यान केन्द्रित किया गया क्योंकि पिछले दो वर्षों में बहुत से स्तरीय कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं। पंकज सुबीर के अतिरिक्त अजय नावरिया, मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रेम भारद्वाज एवं विवेकानन्द के कहानी संग्रह अंतिम पाँच की दौड़ तक पहुंचे। विजेता का चुनाव करने में निर्णायकों को ख़ासी कठिनाई का सामना करना पड़ा।

इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवयित्री इंदु शर्मा की स्मृति में की गयी थी। इंदु शर्मा का कैंसर से लड़ते हुए अल्प आयु में ही निधन हो गया था। अब तक यह प्रतिष्ठित सम्मान चित्रा मुद्गल, संजीव, ज्ञान चतुर्वेदी, एस आर हरनोट, विभूति नारायण राय, प्रमोद कुमार तिवारी, असग़र वजाहत, महुआ माजी, नासिरा शर्मा, भगवान दास मोरवाल, हृषिकेश सुलभ, विकास कुमार झा एवं प्रदीप सौरभ को प्रदान किया जा चुका है।

इस सम्मान के अन्तर्गत दिल्ली - लंदन - दिल्ली का आने जाने का हवाई यात्रा का टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित), एअरपोर्ट टैक्स़, इंगलैंड के लिए वीसा शुल्क, एक शील्ड, शॉल, लंदन में एक सप्ताह तक रहने की सुविधा तथा लंदन के खास खास दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होंगे। यह सम्मान श्री पंकज सुबीर को लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में एक भव्य आयोजन में प्रदान किया जायेगा।

पंकज सुबीर का जन्म ११ अक्टूबर १९७५ को मध्यप्रदेश के होशँगाबाद जिले के सीवनी मालवा कस्बे में हुआ । पिता के शासकीय सेवा में चिकित्सक होने के कारण मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में शिक्षा दीक्षा हुई। बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल के अंतर्गत आने वाले शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (अब चंद्रशेखर आज़ाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय) से जीव विज्ञान विषयों में स्नातक उपाधि तथा उसके बाद वहीं से रसायन शास्त्र (अकार्बनिक रसायन शास्त्र) में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की । अब तक सौ से ज्यादा साहित्यिक रचनाएँ जिनमें कहानियाँ, कविताएँ, ग़ज़लें, लेख तथा व्यंग्य लेख शामिल हैं देश भर की शीर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। सम्मानित कृति के अतिरिक्त पंकज का एक कहानी संग्रह ईस्ट इंडिया कम्पनी और एक उपन्यास ये वो सहर तो नहीं प्रकाशित हो चुके हैं। ३८ वर्षीय पंकज सुबीर को बहुत से पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं जिनमें उपन्यास ये वो सहर तो नहीं के लिए भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, इंडिपेंडेंट मीडिया सोसायटी (पाखी पत्रिका) द्वारा शब्द साधक जनप्रिय सम्मान, गोरखपुर उत्तर प्रदेश की संस्था नवोन्मेष द्वारा साहित्य का नवोन्मेष सम्मान शामिल हैं। वर्तमान में फ्रीलांस पत्रकारिता के साथ साथ कम्प्यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग तथा ग्राफिक्स प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं । जब से सम्मान को अन्तर्राष्ट्रीय किया गया है तब से अब तक पंकज सुबीर सबसे छोटी आयु के साहित्यकार हैं जिनको सम्मानित किया जा रहा है।

वर्ष २०१३ के लिए पद्मानन्द साहित्य सम्मान बर्मिंघम के डा. कृष्ण कन्हैया को उनके कविता संग्रह किताब ज़िन्दगी की (२०१२ – वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली) के लिए दिया जा रहा है। डा. कृष्ण कन्हैया का जन्म पटना, बिहार में हुआ था और उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से एम.बी.बी.एस. की शिक्षा प्राप्त की जबकि पटना विश्वविद्यालय से सर्जरी में मास्टर्स पूरी की। इसके अतिरिक्त उन्होंने एडिनबरा से मेडिकल की अन्य डिग्रियाँ हासिल की हैं। उनकी प्रकाशित रचनाओं में सूरज की सोलह किरणें, कविता-२००७ (कविता संग्रह),शामिल हैं। उनका एक कविता संग्रह किताब संवेदना की प्रकाशनाधीन है। डॉ. कृष्ण कन्हैया का कहना है कि विदेश आने के बाद अपनी संस्कृति का गर्व, अपने संस्कारों की गरिमा, अपने गाँव की शुद्ध सौंधी ख़ुशबू और अपनी मातृभूमि से अनवरत लगाव मेरी अनतरात्मा को ज़्यादा उद्वेलित करता था जिसकी झलक अब मैं अपनी कविताओं में महसूसता हूँ।

इससे पूर्व इंगलैण्ड के प्रतिष्ठित हिन्दी लेखकों क्रमश: डॉ सत्येन्द श्रीवास्तव, सुश्री दिव्या माथुर, श्री नरेश भारतीय, भारतेन्दु विमल, डा.अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेबना, गोविंद शर्मा, डा. गौतम सचदेव, उषा वर्मा, मोहन राणा, महेन्द्र दवेसर, कादम्बरी मेहरा, नीना पॉल एवं सोहन राही को पद्मानन्द साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

कथा यू.के. परिवार विशेष तौर पर श्रीमती चित्रा मुद्गल, श्री भारत भारद्वाज, श्रीमती उर्मिला शिरीष, श्रीमती सुधा ओम ढींगरा, श्री सुशील सिद्धार्थ, श्रीमती साधना अग्रवाल एवं श्री आलोक मेहता का हार्दिक आभार मानते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता है जिन्होंने इस वर्ष के पुरस्कार चयन के लिए लेखकों के नाम सुझा कर हमारा मार्गदर्शन किया।

- तेजेन्द्र शर्मा

शुक्रवार, 29 जून 2012

१८वाँ अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान समारोह सम्पन्न


(लंदन) - ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में उपन्यासकार प्रदीप सौरभ को उनके उपन्यास तीसरी ताली के लिये ‘अट्ठारहबाँअंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान’ प्रदान करते हुए वैस्ट ब्रॉमविच के लॉर्ड किंग ने कहा कि लेखक ही समाज में बदलाव ला सकता है। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी संस्कृति तभी बची रह सकती है यदि उसकी भाषा की ताक़त महफ़ूज़ रहे। इस अवसर पर उन्होंने सर्रे निवासी ब्रिटिश हिन्दी एवं उर्दू के शायर श्री सोहन राही को तेरहवाँ पद्मानंद साहित्य सम्मान भी प्रदान किया। ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सांसद वीरेन्द्र शर्मा ने सम्मान समारोह की मेज़बानी की।

श्री विरेन्द्र शर्मा ने प्रदीप सौरभ के उपन्यास के विषय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि २१वीं सदी में हमारी बहुत सी परम्पराएँ मान्य नहीं रही हैं। यह उपन्यास एक चेतावनी है कि हमें अपने समाज में हिजड़ों के प्रति नज़रिया बदलना होगा। इस विषय में उन्होंने ब्रिटेन जैसे उन्नत देशों से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने सोहन राही के सम्मान को अपने शहर का सम्मान बताया जहाँ से दोनों जीवन में आगे बढ़ कर ब्रिटेन पहुँचे।

सम्मान ग्रहण करते हुए प्रदीप सौरभ ने स्पष्ट किया कि “लेखक को रचना के माध्यम से तोला जाए न कि उसके व्यक्तिगत जीवन से।” उन्होंने आगे ज़ोर दे कर कहा, “जीवन जीने के लिये बचपन से कितने समझौते, कितने गलत काम किये होंगे, मैं उन्हें स्वीकार करता हूँ। मैं पत्रकार हूँ, टी.वी. चैनल में काम करता हूँ, कहने को सच्चाई की मशाल लिये खड़ा हूँ, मगर सच तो यह है कि अपनी अख़बार के मालिक के लिये दलाली करता हूँ। मगर जब मैं लेखन करता हूँ तो स्वतन्त्र होता हूँ। हर इन्सान के चेहरे पर अनेक मुखौटे होते हैं और मैं तो मुखौटों का म्यूज़ियम हूँ।” दीप्ति शर्मा ने तीसरी ताली के उपन्यास अंश का मार्मिक पाठ किया।

काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने समारोह में वाणी प्रकाशन की युवा प्रकाशक आदिति महेश्वरी की उपस्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हिन्दी साहित्य के लिये शुभ समाचार है कि पढ़े लिखे युवा अब हिन्दी प्रकाशन क्षेत्र में पदार्पण कर रहे हैं। इससे सकारात्मक बदलाव आने की पूरी संभावना है। मैंने हमेशा ही यह कहा है कि हिन्दी उपन्यास और कहानी लेखन में शोध बहुत कम किया जाता है। किन्तु तीसरी ताली पढ़ कर पता चलता है कि प्रदीप सौरभ ने हिजड़ों के जीवन पर कितना शोध किया है। काउंसलर ज़ुबैरी ने सोहन राही को हिन्दी और उर्दू का श्रेष्ठ गीतकार कहा।

कथा यू.के. के महासचिव कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने सम्मानित पुस्तकों की चयन प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए समारोह में मौजूद सोआस विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष फ़्रेंचेस्का ऑरसीनी को सम्बोधित करते हुए आग्रह किया कि विद्यार्थियों का सक्रिय लेखकों के साथ पारस्परिक मेलजोल ज़रूरी है। इससे ब्रिटेन में हिन्दी साहित्य एवं गतिविधियों को एक नई दिशा मिलेगी। संचालन करते हुए तेजेन्द्र शर्मा ने तीसरी ताली उपन्यास एवं सोहन राही के गीतों एवं ग़ज़लों से परिचय करवाया।

फ़्रेंचेस्का ऑर्सीनी ने तेजेन्द्र शर्मा के प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि भविष्य में कथा सम्मान का आयोजन ऐसे समय में किया जाए जबकि विश्विद्यालय की कक्षाएं चल रही हों और अन्य साहित्यिक गतिविधियां भी हो रही हों।

कथा यू. के. के अध्यक्ष श्री कैलाश बुधवार ने उपन्यास तीसरी ताली पर भारत के समीक्षकों की टिप्पणियां पढ़ कर सुनाईं जिनमें सुधीश पचौरी, हीरालाल नागर एवं निरंजन क्षोत्रिय की टिप्पणियां शामिल थीं।

सोहन राही की पुस्तक कुछ ग़ज़लें कुछ गीत पर अपना लेख पढ़ते हुए नॉटिंघम की कवियत्री जय वर्मा ने कहा कि, “सोहन राही एक पीढ़ी के लिए नहीं हैं वे युवा से लेकर सब उम्र वालों को अपने से लगते है। अंतर्मन की जटिल गुत्थियों को सुलझाते हुए जीने के अर्थ को अपनी संवेदनशील और मार्मिक कविताओं द्वारा जनसाधारण तक पहुंचाने में सफल हुए हैं।”

सोहन राही ने कथा यू.के. के निर्णायक मण्डल को धन्यवाद देते हुए कहा, “शेर कहना मेरा शुगल ही नहीं, मेरे जीवन की उपासना है। शेर-ओ-अदब मेरा जीवन है, मेरे गीत मेरा ओढ़ना बिछौना हैं।” उन्होंने अपने गीत – कोयल कूक पपीहा बानी... का सस्वर पाठ भी किया।

श्री गौरीशंकर (उप-निदेशक नेहरू सेंटर) ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि अब कथा यू.के. सम्मान की चर्चा यू.पी.एस.सी. बैंकिंग बोर्ड एवं रेल्वे बोर्ड के टेस्टों में भी होती है।

सरस्वती वंदना निशि ने की; सोहन राही का मानपत्र मुंबई से पधारीं मधु अरोड़ा ने पढ़ा तो प्रदीप सौरभ का मानपत्र पढ़ा हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री आनंद कुमार ने। संचालन तेजेन्द्र शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त काउंसलर के.सी. मोहन, काउंसलर ग्रेवाल, श्रीमती पद्मजा, प्रो. अमीन मुग़ल, अयूब ऑलिया, जितेन्द्र बिल्लु, राम शर्मा मीत, अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेना, गोविन्द शर्मा, नीना पॉल, महेन्द्र दवेसर, पद्मेश गुप्त, निखिल कौशिक, विजय राणा, मीरा कौशिक, परवेज़ आलम, पुष्पा रॉव, कविता वाचकनवी, शन्नो अग्रवाल, वेद मोहला, डा. महिपाल वर्मा, के.बी.एल.सक्सेना, आदि ने भाग लिया।